Saturday, December 29, 2012

स्कूलों में जरुरत है ’कार्य केंद्रि’ शिक्षा की !



स्कूलों में जरुरत है ’कार्य केंद्रि’ शिक्षा की !
-    डॉ.योगेश कुलकर्णी
 
१.       व्यवसाय शिक्षा प्राप्त युवकों में भी बेरोजगारी क्यों

सिर्फ़ व्यवसाय शिक्षा ही आज की रोजगार की समस्या का समाधान नही है ! आज ३०% fresh engineers  unemployed है ! तकनिकी शिक्षा प्राप्त हुए युवामें भी बेरोजगारी बहोत है ! इंजिनिअर , तकनिकी शिक्षा प्राप्त युवा भी नौकरी की तलाश में घुमते है ! दुसरी तरफ़ कई व्यवस्थापनोंका अनुभव है की आज के युवा, कोई श्रम करने के लिए तैयार नही ! हर कोई, कम परिश्रम और उसके प्रमाण में बहोद जादा आमदनी की अपेक्षा करता है ! क्या ऎसी परिस्थिती में केवल किसी एक कौशल्य (Trade) की शिक्षा तकनिकी शिक्षा रोजगार के अवसर तैयार करने में पर्याप्त होगी?   


२.       क्या बच्चों की उद्दमशीलता को हमारी स्कूले खतम करती है ? 

शायद हम स्कुलों में केवल किताबी शिक्षा देकर , बच्चों में जो स्वाभाविक उद्दमशील प्रवृत्ती है ! उसे खत्म कर देते है ! फ़िर १० वी के बाद, हम उनको छोटा मोटा तकनिकी कोर्स देकर, उम्मीद करते है की वह अच्छे (technician) कारागिर बन जाए ! अपना उद्योग करे ! काम करने की प्रवृत्ती , सृजनता से विचार करने की ताकद, श्रम के प्रती आदर , आत्मनिर्भयता , खुद का काम खुद करने का स्वावलंबन आदी अनेक शिक्षा के objectives के लिए स्कुलों में बच्चों को हात से काम करने का अवसर मिलना चाहीए ! आज किताबों से प्राप्त होने वाले information  को knowledge (ग्यान) समझने की भूल हम कर रहे है ! ’हात से काम करते सिखना’ यह शिक्षा की प्राकृतिक पध्दती है (natural way of learning) ! आज भी हमारे जादा तर Technician, entrepreneurs, innovators आदी अनेक लोक ’शिक्षा के प्राकृतिक पध्दती’ (Natural way of learning’ से ही सिखे है !  हात से काम करने का बच्चों के बौध्दीक विकास में महत्व अनेक शिक्षाविदोनें ( जॉन पियाजे, गार्नर आदी.) अपने research  के आधार पर स्पष्ट किया है ! इसलिए हमें स्कुल में छात्र शिक्षा की इस सहज पध्दती (Learning while doing in real life situation) को लागू करने लिए व्यवस्था करना जरुरी है ! 

३.       व्यवसाय शिक्षा और ’कार्य केंद्रि’ शिक्षा में क्या अंतर है ? 

National curriculum Framework (2005) की ’Work and Education’ के focus group  ने स्कूल में उत्पादक काम पर ’कार्य केंद्रि शिक्षा(work centered Education)’ की पेशकश की है ! दुर्भाग्य से उसका संदर्भ न लेते हुए, ९ वी और १० वी कक्षा में Trade based vocation education की शुरुवात की जा रही है ! हमें ’व्यवसाय शिक्षा’ और ’कार्य केंद्रि’ शिक्षा के फ़रक को समझना पडेगा ! 


Vocational Education
Work Centered Education
1) Training in one specific trade. छात्रों को केवल एक विशिष्ट व्यवसाय की शिक्षा !
1) Training in all basic skills useful for daily lives. Training to give different experiences of world of work to children. छात्रों को अनेकविध basic स्कील का शिक्षण जिससे उनका अनुभव विश्व व्यापक हो !
२) Training in one specific trade , may not be sufficient for longtime.  एक विशिष्ट कौशल्य की शिक्षा शायद जिंदगीभर काम नही आएगी !
2) Students will learn multi skills, which will be useful  in daily life. They will able to learn new skills. छात्र multiskill प्राप्त करेंगे ! Basic skills उनको ह्मेशा के लिए, उपयोगी होंगे !
३) छात्रों को नौकरी मिले ! उद्योग को skilled कारागिर मिले यह उद्देश ! Objective is to give job to youth and skilled manpower to industries.
3) Objective is to make a human being who is enterprising, creative, have values.
४) Vocational education is considered only for poor, working class those cannot afford to spend money for higher education. It is also projected in the similar way. व्यवसाय शिक्षा सिर्फ़ गरिब और श्रम करने वालों के लिए है ऎसा भ्रम तैयार किया गया है ! स्कुल में व्यवसाय शिक्षा को कम महत्व दिया जाता है !   
४) शिक्षा शास्त्र के आधार पर, और नयी तालीम से लेकर भारत में हुए अनेक प्रयोगों के आधार पर , बच्चों की बौध्दीक विकास के लिए ’उत्पादक काम’ को शिक्षा में लाना चाहीए ! यह सभी तरह के स्कूलों को अनिवार्य हो !

व्यवसाय पूर्व शिक्षा का विज्ञान आश्रम का ९२ स्कुलों का अनुभव : 

भारत के राज्यों के ९२ स्कुलों में ’मुलभूत तकनिकी का परिचय’ (Introduction to Basic Technology (IBT)) यह व्यवसाय- पूर्व पाठ्यक्रम कक्षा ८ से १० तक चलाया जा रहा है ! महाराष्ट्र राज्य के व्यवसाय शिक्षा विभाग ने उसे ’व्यवसाय पूर्व पाठ्यक्रम – व्ही १’ करके स्विकारा है ! इस पाठ्यक्रम के अंर्तगत छात्र हफ़्ते में १ दिन ( स्कूल का २०% समय) ’हात से काम करने’ के लिए देते है ! स्कूलों में workshop होते है जिसमें जरुरी टूल्स, मशिन , साधन होते है ! गॉंव में उद्योग कर रहे है और जिनके पास कौशल्य (skills) है , ऎसे युवकों को ’instructor’  नियुक्त किया जाता है ! छात्रों को fabrication,construction, carpentry, electrical wiring, appliances repair, solar energy, biogas, water conservation, sanitation, food processing, agricultural & nursery techniques, organic farming, rearing animals – dairy आदी चीजे सिखाई जाती है (fig.1) !  fig 1. में दिखाए गए, चारों क्षेत्रों में काम करना सबके लिए आवश्यक होता है !

बच्चे प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने के लिए गॉंववालों को सेवा देते है जिसका मुल्य भी गॉंव वालोंसे लिया जाता है ! स्कुल में अलग अलग चिजों का उत्पाद होता है ! स्कुल की मरम्मत के काम बच्चे ही करते है ! इस हर काम का सैध्दांतिक आधार विद्यालय के अध्यापक अपनी क्लास में स्पष्ट करते है ! उदाहरण के लिए à खेती का biology के तत्व (principles) , विद्युती के काम physics principles, हर काम का हिसाब करते समय गणिती का उपयोग आदी.
Figure 1 Syllabus : Introduction to Basic Technology (IBT)
उत्पादक काम का चयन भी बच्चों की स्कूली पाठ्यक्रम से जुडा होता है ! इससे किताबी शिक्षा और प्रत्यक्ष जीवन की समस्या और जरुरते अलग नही रहती !  शिक्षा अधिक relevant और जीवन से जुडी हो जाती है ! जिसमें छात्रों ने खेती अवजार बनाना, LED lights बनाना और बेचना, सब्जी का उत्पादन और बाजार में बेचना , स्थानिक फ़लों पर प्रक्रिया , स्कुल के बेंच जैसी चीजे बनाना, वर्मी कंपोस्टींग, नर्सरी चलाकर plants को बेचना, Tree guard बनाना, विद्यत उपकरण जैसे ट्युब , फ़ॅन की मरम्मत इ. 85 types की सेवा समाज को दी ! इससे २०१०-११ में हर स्कुल ने कम्युनिटी सर्व्हीस से average Rs.27000/- प्राप्त किए है !  

४.       उत्पादक काम को स्कुली शिक्षा से जोडने से मिलने वाले परिणाम !
हात से काम करते हुए सिखने से , उनके बाकी विषयों में समझ और रुची बढी है ! लगभग सभी स्कूलों में छात्रों की attendance बढी है ! छात्रों में उनके भविष्य के प्रति और जिंदगी में उनके career preferences स्पष्ट होने लगे है ! ऎसा देखा गया है की ’Introduction to Basic Technology (IBT)’  के छात्रों में technical और professional courses  को admission लेने की वृत्ती बढी है ! सबसे महत्वपूर्ण बात है की बच्चों में कोई भी काम करने का आत्मविश्वास बढा है ! श्रम का मोल (Dignity of labour) भी उन्हे पता चल जाता है ! श्रम करने वालों के प्रति संवेदनशीलता बढती है जो बडी महत्वपूर्ण है ! 

५.       दुनिया में इस दिशा में हो रहे काम !
दुनिया में अलग अलग नाम से और अलग रुप में ’कार्य केंद्री’ शिक्षा का आग्रह हो रहा है ! अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष ने छात्रों में सायन्स के प्रति रुचि बढाने के लिए STEM (Science , Technology, Engineering , Mathematics) program  चालू किया है ! उसके अंतर्गत कुछ स्कुलोंमें फ़ॅब लॅब चालू हुई है ! यह ऎसी वर्क शॉप है जहा कोई भी जाके मशिन का इस्तेमाल करके चीजे / projects /prototype  बना सकता है ! मॉस्को के कुछ स्कुलों नें भी fablab@schools के अंतर्गत हर स्कुल में एक फ़ॅब लॅब की workshop चलाई जा रही है !  बार्सिलोना के हर स्कुल में फ़ॅब लॅब का निर्माण हो रहा है ! विज्ञान आश्रम में सबसे पहले २००२ में फ़ॅब लॅब चालु हुई है ! IBT program में भी कम खर्च वाले साधनोंसे वही कर रहा है जो डिझाईन स्कूल, फ़ॅब लॅब , Do-It-Yourselves जैसी movements कर रही है !
हमारे लिए स्कुली शिक्षा का उद्देश, क्या सिर्फ़ कारखानों के लिए ’कारागिर और टेक्निशियन’ बनाना है ? स्कुलों में व्यवसाय शिक्षा को इतने छोटे नजर से नही देखना चाहीए ! स्कूलों मे ’उत्पादक काम’ का समावेश , ग्यान (knowledge) हासिल करने के लिए होना चाहीए ! इस देश को ’उद्दमशील लोगों का, नयी खोज और आविष्कार करने वालों’ का देश हम बनाना चाहते है ! अगर ऎसा है तो ह्मे सभी स्कूल में उत्पादक कार्या में बच्चों का सहभाग और ’कार्य केंद्रि’ शिक्षा का आग्रह करना होगा !
                                        
                                                

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